कश्मीर घाटी में 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की दर्दनाक घटना घटी थी. उनमें से एक परिवार अनुपम खेर का भी था. 19 जनवरी को कश्मीरी हिंदुओं के पलायन दिवस के मौके पर अनुपम खेर ने उस काले दिन को याद करते हुए एक कविता सुनाई. वीडियो में देखा जा सकता है कि कविता सुनाते हुए अनुपम खेर की आंखें भी भर आईं. अनुपम ने कैप्शन में लिखा, कश्मीरी हिंदुओं के पलायन को 35 साल हो गए हैं, जब 5,00,000 से ज्यादा हिंदुओं को उनके घरों से बेरहमी से निकाल दिया गया था. वे घर अभी भी वहीं हैं, लेकिन उन्हें भुला दिया गया है. इसके बाद अनुपम ने कश्मीरी पंडितों के घर शीर्षक वाली कविता को पढ़ा और इमोशल हो गए.

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